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घर आते परदेसी
भाग-एक: सुर संभालिये देवी जी (लखनऊ, 3 दिसंबर 2016) ~ऋचा नागर(2016)
जब जब
निडर होकर
नाम लेती हूँ
इस मुल्क की
गली–गली में
पलती
किसी घिनौनी सच्चाई का
किसी सियासी झूठ का
किसी क़त्लेआम का
किसी शर्मनाक हैवानियत का
तो
मुझसे कहा जाता है
कि पहले देखो
अपने घर को
अपने वतन को
अपने नए राष्ट्रपति को
तब
मुँह से आवाज़ निकालना
और
मैं अपनी
तड़प जज़्ब करके
पलटती हूँ
अपने आरोपी पर
कि
घरों के नाम पर
मेरी आवाज़ को
बेघर न कर सकोगे
कि
मेरे सुरों की तरंगे
किसी की देहरी के भीतर
रस्सी से बंधी
कोई बेज़ुबान
पालतू गाय नहीं
जो माता बनकर
खुद अपनी ही मौत पर
हुंकार न सके
रंभा न सके
और मरते–मरते भी
उस मंदिर की कच्ची ईंटों
को लात मारकर
गिरा न सके
जिसमें वो सिर्फ़
किसी की ग़ुलाम
या हथकंडा
बनकर
माता नाम की क़ैद को
धर्म मानकर
सबको अपने दोहन
का हक़
देती रही।
भाग–दो: भूरी चमड़ी की जांच–पड़ताल उर्फ़ तुरुप देस में रैंडम सर्वे
(मिनियापोलिस.सेंट पॉल अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, 21 दिसंबर 2016)
पहला चरण
आप कहाँ से आयी हैं?
आप क्या लायी हैं?
आपका घर कहाँ है?
आप यहीं की हैं
तो ठीक है
आ जाइये
अब आपको और
तकलीफ़ नहीं देंगे।
२० मिनट बाद
अरे, अरे, मैम!
कहाँ चलीं आप?
आपने तो ख़ामख़ां समझ लिया
हम आपसे और जवाब
तलब नहीं करेंगे
ज़रा रुकिए
ये तो बताइये
कितनी बार जाती हैं
अपने उस देश?
क्या करती हैं वहाँ?
और फिर यहाँ?
ओहो, तो यहीं रहती हैं आप
अच्छा, नागरिक भी हैं!
घर यहाँ है तो
फिर वहाँ भी कैसे है?
बेटी यहाँ है तो
परिवार वहाँ भी कैसे है?
काम यहाँ है
तो वहाँ भी कैसे है?
चलिए इसी बात पर
खोल डालिये
अपना सारा सामान
अपना आगा–पीछा
और पूरी की पूरी
समा जाइये
हमारी स्मार्ट एक्स–रे
मशीन के भीतर
तभी तय कर पाएंगे
आपकी रिहाई
कब और कैसे हो।
बाय द वे,
इस प्रोसेस
से घबराकर
यह न समझ बैठियेगा कि
हमारे इस महान देश के
सारे नागरिक
बराबर नहीं हैं।
ये तो सिर्फ़
देश की हिफ़ाज़त
के लिए एक
रैंडम सर्वे है
कोशिश रहेगी
इससे आप
अगली बार भी
पूरी तरह
भयभीत होकर
सफ़र करें।
याद रहे इस मुल्क में
भूरी चमड़ी का अर्थ है
सदा संदिग्ध चमड़ी।
अब सर्वे ख़त्म।
ब्रह्माण्ड के इस
सबसे आज़ाद मुल्क में
आपका
स्वागत है।